14 वर्षों का वनवास समाप्त करो अतिथि शिक्षक की न्यायोचित मांग 'नियमितीकरण' को बजट में शामिल करो
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14 वर्षों का वनवास समाप्त करो अतिथि शिक्षक की न्यायोचित मांग 'नियमितीकरण' को बजट में शामिल करो ।
बजट 2022 में अपनी वर्षों पुरानी मांग नियमितीकरण को शामिल कराने के ध्येय से ऑल गेस्ट टीचर एसोसिएशन द्वारा मिशन 99.99 रेगुलराइजेशन चलाया जा रहा है। जिसके तहत मध्यप्रदेश की सभी विधानसभा में अतिथि शिक्षकों द्वारा मंत्री, विधायक से मिलकर आवेदन निवेदन किया जा रहा है कि आप हमारी न्यायोचित मांग को यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के समक्ष रखें साथ ही में शामिल करने का प्रयास करें। जिस पर विधायकों, मंत्रियों द्वारा आश्वासन दिया गया कि हम आप की मांग को अवश्य ही मुख्यमंत्री जी के समक्ष खेंगे साथ ही बजट में शामिल कराने का प्रयास भी करेंगे।
ऑल गेस्ट टीचर असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष नंदकिशोर सिसोदिया ने बताया कि इसके पूर्व शासन द्वारा जारी बजट 2022 पर अपनी राय फोन नंबर तथा ई-मेल के माध्यम से मांग को रजिस्टर्ड करवा दी गई है। जब सूत्रों से पता चला था कि मुख्यमंत्री महोदय जी बजट को अंतिम रूप प्रदान करने से पूर्व विधायकों से मुलाकात कर चर्चा करेंगे जिसके चलते मंत्री, विधायक महोदय से निवेदन किया गया हालांकि हम विगत 14 वर्षो से मंत्री, विधायक जी मिलते रहे है और हमारी मांगों से अवगत कराते रहे है।
प्रमुख मांग
1. प्रथम चरण के रूप में शिक्षा का अधिकार (आर. टी. ई 2009) प्रावधानों को पूर्ण कर चुके अनुभवी अतिथि शिक्षक को वरीयता क्रम से सीधे शिक्षक पद पर नियोजित किया जाए।
2. द्वितीय चरण में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में अतिथि शिक्षक को वरीयता देते हुए उनके कार्य अनुभव के अंक प्रदान कर भर्ती पूर्ण की जाए।
3. अतिथि शिक्षकों की अलग से विभागीय परीक्षा आयोजित कर शिक्षक पद पर नियोजित किया जाए।
👉 बता देंगे विगत कई वर्षों से अतिथि शिक्षक शासकीय विद्यालयों में अपनी सेवाएं देते आ रहे थे ऑक्टोम्बर 2021 में नियमित शिक्षक भर्ती होने से इन्हें विद्यालय से हटा दिया गया है। जिसके चलते हैं कई अतिथि शिक्षक अवसाद से घिर गए और कईयों ने मौत को गले लगा लिया। कोविद-19 के चलते विगत 3 वर्षों में अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है। जिसके चलते हर क्षेत्र में रोजगार के अवसर न के बराबर रह गए है फिर चाहे वह शासकीय क्षेत्र हो या प्रायवेट अचानक रोजगार छीन जाना इनके लिए बड़ी आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है कई अतिथि शिक्षकों के परिवार इसी पर आश्रित होने से उनके सामने आज बच्चों का पालन पोषण जैसी कई समस्याएं खड़ी हो गई है। आज प्रदेश का अतिथि हर उस चौखट पर अपना सिर रगड़ रहा है जहां से उसे अपने सुरक्षित भविष्य की उम्मीद नजर आती है। इससे पूर्व भी अपने सुरक्षित भविष्य के लिए आंदोलन धरना प्रदर्शन किए जा चुके हैं। शामिल कांग्रेस-भाजपा दोनों ही सरकार द्वारा इनके सुरक्षित भविष्य का भरोसा दिया गया था। जिसके चलते आज तक यह लोग इसी आशा में हैं कि आज नहीं तो कल इनका भविष्य अवश्य सुरक्षित हो होगा। उम्मीद में आज ये लोग ओवरएज हो गए है। इनका यह भी कहना है कि हमने कोरोना काल जैसी महामारी में भी विद्यालय में अपनी सेवाएं दी। इस उम्मीद पर की सरकार हमारा भविष्य अवश्य सुरक्षित करेगी। हम सरकार को लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, फेसबुक तथा व्हाट्सएप अवगत कराते रहे। साथ ही इनका कहना है कि जब अन्य प्रदेश शिक्षक बनने की रखने वाले अतिथि शिक्षकों को सीधे शिक्षक पद पर नियोजित कर सकती है तो फिर हमारी मध्यप्रदेश की सरकार क्यों नहीं? अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इनकी मांग को बजट में शामिल करती है या नही।
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