आज की बड़ी खबर, जनजातीय विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग
रिक्त पदों के अनुपात में भर्तियां न होने से उत्तीर्ण उम्मीदवारों का दर्द उभरा
जनजाति और स्कूल शिक्षा में डेढ़ लाख से ज्यादा पद खाली तो फिर भर्ती में कटौती क्यों
भोपाल (आरएनएन)। सरकार द्वारा अगले सप्ताह से प्रारंभ की जा रही प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में उत्तीर्ण उम्मीदवारों का दर्द सामने आया है। इनका आरोप है कि स्कूल शिक्षा और जनताति विभाग में डेढ़ लाख से अधीक पद खाली हैं। भर्ती मात्र 18 हजार पदों पर हो रही है। यह प्रक्रिया जहां सालों से रोजगार की प्रत्याशा में खड़े बेरोजगारों के लिए नैसर्गिक न्याय से दूर है, वहीं युवाओं की उम्मीदों को पानी में बहाने जैसी है।
उत्तीर्ण उम्मीदवार दिलीप चौरसिया, अरविंद कुशवाहा, विकास चौरसिया, जितेन्द्र सिंह, इरिओम रैकवार सहित अन्य अभ्यार्थियों ने मंत्रालय पहुंचकर खुलकर अपनी पीड़ा बताई। इन बेरोजगारों का कहना है कि राज्य में दस साल बाद प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। जिसमे करीब 18500 पदों की पूर्ति की जाएगी। बावजूद इसके अभ्यर्थियों में पदों के आवंटन और फेश भर्ती के बहुत कम पद होने से आक्रोश बना हुआ है। आरोप है कि सालों बाद हो रही इस भर्ती मैं फ्रेश पदों को भरने के नाम पर आंकड़ेबाजी की जा रही हैं। एसटी वर्ग को सीधे तौर पर 10 हजार से अधिक पद आवंटित किए गए हैं, जो बैकलॉग के हैं। राज्य सरकार घोषणा कर चुकी है एक वर्ष में एक लाख पदों पर भर्ती होगी। वर्ग 3 प्राथमिक शिक्षक के अभ्यर्थियों का कहना है कि जब प्रदेश में लोक शिक्षण संचालनालय के सवा लाख से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं तो फिर शिक्षा विभाग महज 7429 पदों पर ही क्यों कर रही है। वहीं जनजाति विभाग में करीब 50 हजार पद खाली हैं और भर्ती सिर्फ 11098 पदों की पूर्ति हो रही है। इसमें 8093 पद तो केवल एसटी वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं। जिसमें बैकलॉग के पद भी सम्मिलत किए गए हैं। प्रदेश में हुई प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में 6 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। इनमें करीब सवा लाख उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए। परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का आरोप है कि शिक्षा विभाग युवाओं के साथ लगातार नैसर्गिक न्याय नहीं कर रहा है। परीक्षा पूर्व पद न खोलने और अब सीधी भर्ती के नाम पर बैकलॉग के पद भरकर आंकड़ों से वाहवाही लूटी जा रही है।
युवाओं की मांग हैं कि प्रदेश सरकार द्वारा 51 हजार पदों पर भर्ती होना चाहिए ताकि युवाओं का भविष्य सुरक्षित रहे और प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति हो सके। इससे बच्चों को क्वालिटी एज्युकेशन मिलेगी साथ ही उनके अध्यापन का आधार भी मजबूत होगा।
पांचवीं आठवीं परीक्षा का पंजीयन नहीं कराएंगे प्रायवेट स्कूल संचालक
भोपाल शिक्षा विभाग की नीतियों का विरोध करने के लिए प्रायवेट स्कूलों के संचालक एक मंच पर आये है। इन्होंने गुरुवार को राजधानी में एक बैठक बुलाकर महागठबंधन तैयार किया है। दावा किया गया है कि विभाग द्वारा कराई जा रही पांचवी और आठवी की परीक्षा के लिए प्रदेश में कोई भी स्कूल पंजीयन नहीं करवाएगा ।
उक्त बैठक में मप्र प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन अध्यक्ष अजीत सिंह एवं अशासकीय शिक्षण संस्था अध्यक्ष दीपेश ओझा सहित अन्य शामिल पदाधिकारी शिक्षा विभाग की नीतियों का विरोध करने के लिए एक मंच पर बैठे। इस दौरान दोनों ही संघों की कार्यकारिणी में शामिल प्रदेश के विभिन्न जिलों से पदाधिकारी बड़ी संख्या में आये और सभी की सहमति से महागठबंधन बनाया गया। इस दौरान इन्होंने कहा कि सरकार के अब किसी भी फरमान को स्वीकार नहीं किया जाएगा। पाचवी एवं आठवीं की बोर्ड परीक्षा के विषय में सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा। इन्होंने कहा कि इन परीक्षाओं के लिए कोई भी स्कूल रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा। उक्त बैठक में राजधानी भोपाल के अलावा छतरपुर, सिवनी, डिंडोरी, बालाघाट, सतना, ग्वालियर, टीकमगढ़ सहित विभिन्न जिलो से प्रायवेट स्कूल संचालकों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

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