EWS को लेकर आज की महत्वपूर्ण खबरें - Madhya Pradesh Teachers News

सोमवार, 7 नवंबर 2022

EWS को लेकर आज की महत्वपूर्ण खबरें

 EWS को लेकर आज की महत्वपूर्ण खबरें 



EWS को लेकर आज की महत्वपूर्ण खबरें 

 👉 ईडब्ल्यूएस आरक्षण असंवैधानिक

👉 सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, याचियों ने निर्धारित 50% सीमा के आधार कहा


  • 103वें संविधान संशोधन के जरिये दिया गया है ईडब्ल्यूएस को आरक्षण
 • 10 प्रतिशत कोटे के प्रविधान को शीर्ष अदालत में दी गई है चुनौती

सम्पूर्ण खबर -  

             नई दिल्ली  -   
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के कानून पर मंगलवार से सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में सुनवाई शुरू हुई। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। इसमें आरक्षण के जरिये वंचित वर्ग को प्रतिनिधित्व की अवधारणा आर्थिक रूप से ऊपर उठाने की योजना में तब्दील हो गई है। आर्थिक आरक्षण में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ों को बाहर रखा गया है। इसका लाभ सिर्फ सामान्य वर्ग तक सीमित है। इसलिए यह बराबरी और सामाजिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है और संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है।

सुप्रीम कोर्ट में गैर सरकारी संगठन-जनहित' अभियान की याचिका सहित कई अर्जियां लंबित हैं। इनमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। मंगलवार से मामले पर प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की। पीठ में अन्य न्यायाधीश जस्टिस दिनेश महेश्वरी, एस. रविंद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पाडवाला शामिल हैं।

याची की और से कानूनी विशेषज्ञ डाक्टर मोहन गोपाल ने की। उन्होंने कहा कि 103वां संविधान संशोधन कानून संविधान के साथ धोखा है। यह कानून सामाजिक न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। उन्होंने कहा, सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन वे दो पहलू हैं, जिन पर आरक्षण टिका है। सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के मानक में आर्थिक पिछड़ापन शामिल है। सामाजिक पिछड़ापन आर्थिक पिछड़ेपन के बगैर नहीं हो सकता। दोनों साथ चलते हैं। मोहन गोपाल ने कहा कि अगर यह वास्तव में आर्थिक आधार पर आरक्षण है, तो यह सभी गरीबों को मिलना चाहिए। इसमें उनकी जाति का कोई महत्व नहीं होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए कहा कि वंचित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण लाया गया था। बराबरी की मांग हमेशा पिछड़े वर्ग की रही है, न कि संपन्न वर्ग की वे प्रतिनिधित्व चाहते हैं न कि आर्थिक रूप से ऊपर उठना। हमें आरक्षण में कोई रुचि नहीं है। हमें सिर्फ प्रतिनिधित्व में रुचि है। अगर कोई प्रतिनिधित्व का आरक्षण से बेहतर तरीका लाता है, तो हम आरक्षण को समुद्र में फेंक देंगे। यानी इसे छोड़ देंगे। आर्थिक स्थिति घटनाओं से बदलती रहती है। यह लाटरी जीतने या जुआ हारने से बदल सकती है।याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील संजय पारिख और मीनाक्षी अरोड़ा ने भी बहस की। दोनों वकीलों ने आर्थिक आरक्षण का प्रविधान करने वाले संविधान संशोधन कानून को संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाला बताया।

👉 इन कानूनी प्रश्नों पर संविधान पीठ कर रही विचार


• क्या 103वां संविधान संशोधन इस आधार पर संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध है कि उसके तहत सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण की शक्ति मिली

• क्या यह संशोधन इस आधार पर मूल ढांचे का उल्लंघन करता है कि इससे सरकार को गैर सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थानों में दाखिले को लेकर विशेष नियम बनाने की शक्ति है

• क्या यह संशोधन इस आधार पर मूल ढांचे का उल्लंघन है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण में ओबीसी, एससी, एसटी को शामिल नहीं किया गया है।


👉 EWS असंवैधानिक कैसे होगा ?





👉 #EWS_आरक्षण_30_प्रति शत करो।


            आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग यानी EWS को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10% रिजर्वेशन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला दे सकता है। CJI यूयू ललित की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया गया था। वहीं, तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK सहित कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी।

5 जजों की बेंच सुनाएगी फैसला

• 2019 में
सरकार ने दिया
था आरक्षण

👉 Ews 10 % आरक्षण बरकरार रहेगा

- सुप्रीम कोर्ट का फैसला EWS पर 







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